कर्म
कर्म की ही बात हो
धर्म सबको ज्ञात हो
कर्म पथ पर डटे रहें
राह में बढ़ते रहें
चाहे घोर हो तमस
हर तरफ अंधकार हो
थाम कर्म का दामन
धर्म पथ पर बढ़ते रहें
चाहे मायूसी हो हर तरफ
विपत्तियों का साथ हो
कर्म पथ पर बढ़े चलें
अग्निपथ पर डटे रहें
एक दूजे से प्रेम हो
आपस में सद्भावना हो
विश्व का कल्याण हो
कर्म कुछ ऐसा करें
कर्म ही सिर्फ तुम्हारे
साथ जाने वाले हैं
क्यों न फिर कुछ ऐसा करें
सदियों तक जिंदा रहें
फिर भले ही हम न होंगे
कर्म हमारे बोलेंगे
इसलिए कहता हूं प्यारे
सदैव सत्कर्म करें…
सदैव सत्कर्म करें…
इति।
इंजी.संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश