कर्म-हल
पत्थर पर माथा
पटकने से क्या फायदा?
झटक देते हैं दामन
देख असहाय को
यही दुनियाँ का है कायदा।
मुकाम कौनसा है
जहाँ जिन्दगी को खतरा नहीं।
गिराने वाले बहुत है
मगर
मददगार कहाँ?
खुद लेकर अपनी छैनी
खुद को गढों तुम।
कदम दर कदम
आगे बढो तुम।
कौन कितने पानी में
पता चल जाएगा।
जब तू अपनी
तकदीर बनाएगा।
खुदा भी बदल देगा
भाग्य की रेखा
जब दृढ़-प्रतिज्ञ हो
तू कर्म-हल चलाएगा।
प्रतिभा आर्य
अलवर (राजस्थान)