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15 Jun 2023 · 1 min read

“कर्म बड़ा या भाग्य बड़ा है”

कृष्ण गीता में समझाऐं,
कर्म करें जो मन लगाऐं,
भाग्य अपना स्वयं बनायें,
जो भाग्य भरोसे बैठा,
वो रण छोड़ कहाये,
एक के भाग्य में फूल भरें हैं,
दूसरे के भाग्य में काँटे,
कर्महीन बैठा – बैठा ताके,
कर्म करें जो काँटों में भी,
लहलहाते फूल उगाये,
पत्थर देख मन घबराया,
भाग्य समझ वह मुरझाया,
कर्म किया श्री फ़रियाद ने,
पत्थरों में भी दूध बहाये,
छोटी सी तेरी ज़िन्दगानी,
कर्म करता जा तू प्राणी,
हाथ में खिंची रेखायें भी,
पल – भर में मिट जानी,
कर्म हैं अनमोल ख़जाना,
जितना ख़र्चों उतना आना,
भाग्य पिटारा खुल जाना,
फिर जीवन आनंदमय बिताना,
कर्म का जब हल चलाया,
भाग्य को भरपूर उपजाया,
उजला भाग्य, मन हर्षाया,
जीवन अपना सरल बनाया,
कर्म की गति न्यारी है,
ये भाग्य पे भारी है,
भाग्य के लिखे लेख भी “शकुन”,
कर्म के आगे भरते पानी।।

Language: Hindi
141 Views
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