कर्म-धर्म
कर्म में आसक्त होकर,
कर्म की तू राह चल..
चाहे जो हो जाए प्यारे,
धर्म से तू ना बदल..
धर्म छोड़ा तो कर्म ना,
काम तेरे आएगा..
समय छूटेगा हाथ से और,
पीछे तू पच्छताएगा।।
कर्म में आसक्त होकर,
कर्म की तू राह चल..
चाहे जो हो जाए प्यारे,
धर्म से तू ना बदल..
धर्म छोड़ा तो कर्म ना,
काम तेरे आएगा..
समय छूटेगा हाथ से और,
पीछे तू पच्छताएगा।।