कर्म चरित्र वर्णन
“कर्म चरित्र वर्णन”
जो अपना हर कार्य, पूर्ण रूप से करे, वो महामानव है
जो अधूरे कार्यों को, बतलाने से कर दे, वो मानव है
जो अधूरे कार्यों को, बताने से भी न करे, वो दानव है
जो अधूरे कार्य को जानकर भी न माने, वो अभिनय है
जिसे अधूरापन, दिखाई ही ना दे वो अनाड़ी महाशय है
जो भी करें पूर्णरूप से करें इस कविता का ये आशय है
~ नितिन जोधपुरी “छीण”