कर्म औ’र भाग्य से बन सिकंदर कभी।
कर्म औ’र भाग्य से बन सिकंदर कभी।
कुछ किए बिन न जगता मुकद्दर कभी।
हौसलों से सभी काम …..मुमकिन हुए,
गर है हिम्मत …तो लांघो समंदर कभी।
……✍️ प्रेमी
कर्म औ’र भाग्य से बन सिकंदर कभी।
कुछ किए बिन न जगता मुकद्दर कभी।
हौसलों से सभी काम …..मुमकिन हुए,
गर है हिम्मत …तो लांघो समंदर कभी।
……✍️ प्रेमी