कर्म और फल
न सोचो बर्बाद करने की औरों को,तुम भी न बच पाओगे,
करोगे अगर बुरा किसी और का,तो खुद भी काँटे पाओगे,
औरों के घर मे आग लगाने से पहले सोच ले जरा,
उस आग की चिंगारी खुद तुझ पर भी आएगी,
चिंगारी जला देगी तुझको ही,हवा का रूख बदलते ही,
लगायी आग किसी और के लिए,भस्म तुम हो जाओगे,
पनपने न दो ईर्ष्या, द्वेष की भावना अपने मन मे,
अन्यथा स्वयं के लिए ही दुख को निमंत्रण दे जाओगे,
न सोचो अनुचित किसी के लिए,ये जीवन है छोटा सा,
कर्म रहे हमेशा उत्तम,पुण्य मार्ग पर अग्रसर हो जाओगे,
अच्छे कर्म का फल मिलता है सदैव अच्छा ही यहाँ,
आएं मुश्किल हजार चाहें, खुदा को स्वयंसंग ही पाओगे।
By:Dr Swati Gupta