Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Aug 2024 · 1 min read

कर्मों का बहीखाता

हम सब जानते हैं
जैसा कर्म करेंगे, वैसा ही फल पायेंगे
गीता का यही ज्ञान, है जीवन का विज्ञान।
कौरव पांडव का उदाहरण सामने है
रावण विभीषण, सुग्रीव बाली के बारे में
हम सब जानते हैं
कंस का भी ध्यान है या भूल गए।
सबका बहीखाता चित्रगुप्त जी ने सहेजा,
किसी को राजा तो किसी को प्रजा
तो किसी रंक बनाकर भेजा
अमीर गरीब का खेल भी मानव का नहीं
कर्मानुसार उसके बहीखातों का खेल है।
यह और बात है कि हमें
अपने पूर्व जन्म या जन्मों का ज्ञान नहीं होता,
इसीलिए अपने कर्मों का भी हमें पता नहीं होता।
और हम सब इस जन्म के साथ ही
पूर्वजन्मों के कर्मों का फल पाते हैं।
क्योंकि हमारे कर्मों का बही खाता निरंतर भरता रहता है,
उसी के अनुसार कर्म फल का निर्धारण होता है
और हमें अच्छा बुरा कर्म फल मिलता है।
वर्तमान जीवन में ही नहीं मृत्यु के बाद भी
चित्रगुप्त जी के बहीखाते में दर्ज
हमारे कर्मों के अनुसार ही
कर्म फल का निर्धारण होता रहता है,
सत्य यह भी है कि हमारा एक एक कर्म
चित्रगुप्त जी के बहीखाते में
दर्ज़ होने से कभी छूटता भी नहीं,
इसीलिए तो इसे कहा जाता है
कर्मों का बहीखाता।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 70 Views

You may also like these posts

जिंदगी का बोझ
जिंदगी का बोझ
ओनिका सेतिया 'अनु '
जा तुम्हारी बेवफाई माफ करती हूँ।
जा तुम्हारी बेवफाई माफ करती हूँ।
लक्ष्मी सिंह
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
*फूलों सा एक शहर हो*
*फूलों सा एक शहर हो*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"कुछ खास हुआ"
Lohit Tamta
रोना भी जरूरी है
रोना भी जरूरी है
Surinder blackpen
शाम हो गई है अब हम क्या करें...
शाम हो गई है अब हम क्या करें...
राहुल रायकवार जज़्बाती
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
सच्चाई सब जानते, बोलें फिर भी झूठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कविता
कविता
Rambali Mishra
वादा
वादा
goutam shaw
कोशिश कर रहा हूँ मैं,
कोशिश कर रहा हूँ मैं,
Dr. Man Mohan Krishna
सोचते हो ऐसा क्या तुम भी
सोचते हो ऐसा क्या तुम भी
gurudeenverma198
पेड़ और नदी की गश्त
पेड़ और नदी की गश्त
Anil Kumar Mishra
दोहा पंचक. . . . . पत्नी
दोहा पंचक. . . . . पत्नी
sushil sarna
हमने आवाज़ देके देखा है
हमने आवाज़ देके देखा है
Dr fauzia Naseem shad
ईश्वर की व्यवस्था
ईश्वर की व्यवस्था
Sudhir srivastava
शब्द
शब्द
Suryakant Dwivedi
शब का आँचल है मेरे दिल की दुआएँ,
शब का आँचल है मेरे दिल की दुआएँ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"नाना पाटेकर का डायलॉग सच होता दिख रहा है"
शेखर सिंह
चलो शुरूवात करो
चलो शुरूवात करो
Rekha khichi
खामोश किताबें
खामोश किताबें
Madhu Shah
"आँखें "
Dr. Kishan tandon kranti
टूटे नहीं
टूटे नहीं
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
- अपना होना भी एक भ्रम है -
- अपना होना भी एक भ्रम है -
bharat gehlot
पिता की याद।
पिता की याद।
Kuldeep mishra (KD)
लोगों को सत्य कहना अच्छा लगता है
लोगों को सत्य कहना अच्छा लगता है
Sonam Puneet Dubey
Loading...