कर्मों का फल
मौत का क्या है !
वो तो सब को आनी ।
क्या अच्छा ! क्या बुरा ,
है फर्क बस इतना ,
अच्छे इंसान के अंतिम समय में ,
होगी उसके होंठों पर संतोषजनक मुस्कान ।
और बुरे इंसान को झेलनी पड़ेगी ,
अपने अंत समय में कठिन यातनाएं ।
रहेगी उसके होंठों पर आहें,
यही उसके कुकर्मों से संचित पश्चाताप और
और आत्म ग्लानि की है कहानी ।