“कर्मयोगी “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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किसने कहा
ख्वाब पूरे
नहीं होते ,
पहले तो
अच्छे सुनहरे
ख्वाब देखो !
जिसे चाहत
होती है
आसमां छूना ,
क्षितिज में
पंख फैला
करके देखो !!
कर्म से ही
लोग बनते
हैं धनुर्धर ,
भाग्य की धारा
को वो मोड देते !
अपने बल
पराक्रम के
भंगिमाओं से
महाभारत युद्ध
सारे जीत लेते !!
“कर्मयोगी ”
कर्म पर विश्वास
करते ,
क्षणिक धन से
उन्हें क्या करना ?
सम्मान के
भूखों के वे
प्यासे हैं ,
उन्हें मुफ़्त की
भीख क्यों लेना ?
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका, झारखंड
भारत