कर्मफल
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मानव जीवन मिला भाग्य से,
मानव हित में कुछ कर ले ।
सूरज ना बन सके तो क्या,
जुग्नू का ही रूप धर ले।
कर्मों का बड़ा ही नाता ,
होता है जग जहान में ।
उच्च कर्मों का कर्मफल,
जीवन कटता सम्मान में।
कहीं चोरी कहीं डकैती,
वैमानस्यता जहां जहां ।
गौर से देखो भाई मेरे,
नहीं सुख शांति वहाँ वहाँ।
जहाँ मानव सद्कर्म करे ,
वहाँ बरसे अमृत धारा ।
उच्च कर्मों के फल ही,
सफल होता जीवन सारा।
दया दानता स्नेह की बाती,
दूर करे ये अंधियारा ।
सद्कर्मों के कर्मफल से,
ही होता है जग उजियारा।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर, उ.प्र.