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22 Feb 2024 · 1 min read

कर्ण का शौर्य

कोई नहीं भुवन में मुझसा
कोई नहीं धनुर्धर है बाकी ।
कौन समक्ष ये आ गया है
जल रहा अग्नि की भांति ।।1।।

जिन भुजाओं में ये पराक्रम
कोटि सूर्य–सा दमक रहा ।
कौन सामने खड़ा है माधव
अग्नि सूर्य सा धधक रहा ।।2।।

कैसा प्रलय मचा दिया है रण में
ऐसा कौन ये धनुर्धर है बाकी ।
जिसके धनुष की टंकरों से
उठ पड़े तप की सन्यासी ।।3।।

ले जाओ समक्ष रथ को माधव
हो गया हूं युद्ध का अभिलाषी ।
आज लगता है,रण में बस
बचेगा एक धनुर्धर ही बाकी ।।4।।

2 Likes · 2 Comments · 87 Views
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