कर्ण का क्या दोष ?
सूरज भी जानता था
अनछुई है कुंती,
कुंती भी जानती थी
अपनी सीमाएँ,
परंतु यह प्यार थी
या बलात्कार
या प्रबल कामेच्छा
या भूकंप का आना
या तूफाँ कर जाना ।
सूरज तो दर्प से
चमकते रहे
कुंवारी कुंती को
गर्भ ठहरनी ही थी
मज़े या मंत्र आह्वान
या जो कहें
आखिर कुंती की लज़्ज़ा के
आँसू ही बहे।
किन्तु कर्ण का क्या दोष था ?
सूर्यांश होकर भी
सूर्यास्त क्यों था,
क्यों वे कौन्तेय नहीं थे,
देवपुत्र होकर भी
सूतपुत्र क्यों कहलाये ?
सूरज ने जो किया,
वो गलत था क्या ?
या कुंती ने जो की,
गलत थी क्या ?
या ‘मंत्रजाप’ ही बहाना था
या धरती की सुंदरी से,
देवों को मन बहलाना था !
सभी अनुत्तरित प्रश्न है अबतक ?