कर्ज
कर्ज लो आप कभी तो चुकाना होगा
खर्च हो लाख भले पैसा भी बचाना होगा
राह है प्यार की दुर्गम चल पाओ कैसे
पल्लवित प्यार हो तो नीदें भी चुराना होगा
उस खुदा की बरसे तुझ पे खैर कभी जब
साँस रूकी लाकर फिर से जिलाना होगा
यार मेरा जिसको लोग भटकाते है
आज उसको फिर हमको समझाना होगा
साथ तेरे चल पाऊँ तब तक इस पथ पर
जिस घडी तक साथ खुदा को रखाना होगा