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21 Jun 2019 · 1 min read

करो योगासन,स्वस्थ रहे तन-मन

करो योगासन,स्वस्थ रहे तन-मन
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तन-मन-धन संभालिए,करके प्रतिदिन योग।
घर-आँगन आनंद हो,लगे प्रेम का भोग।।

विचार उज्ज्वल पाइए,तनाव रहे न संग।
योगासन अभिराम दे,प्रफुल्लित करे अंग।।

रक्तचाप मधुमेह हों,अस्थमा माइग्रेन।
चाहे मोटापा कहो,योग छुड़ाए ट्रेन।।

दूर रहें भाव बुरे,आए कभी न क्रोध।
योगासन है वो दवा,मिले शांति का बोध।।

झुके सदा धनवान भी,हो जाए कंगाल।
रोग शत्रु बलवान है,योग बना तू ढ़ाल।।

योगा-योगा जग कहे,फिर भी लापरवाह।
दूध साँप को भेंटकर,जनु खुद करें गुनाह।।

करके योगा एकदिन,भूले पूरा साल।
पेड़ लगा ना सींचिए,यह तो ऐसा हाल।।

तन-मन शोभा पूजते,सारे जग के लोग।
घृणित यही फिर मानते,जब लग जाता रोग।।

योगासन करते रहो,जीवन रहे बहार।
तन अपना ये साध्य है,साधन सब उपहार।।

स्वस्थ युवा जिस देश के,ताक़तवर है एक।
शत्रु बिना रण हार के,घुटने देता टेक।।

तन – मन उर्जावान हो , व्याधि रहेगी दूर।
नियमबद्ध कर योग तू , हो ख़ुशियों में चूर।।

कर योग विवेकी बनो , नीर क्षीर अनुमान।
देकर नेक विचार तुम , बन जाओगे गान।।

वज्रासन नित कीजिए , खाना खाने बाद।
उत्तम पाचन तंत्र हो , मोटापा बरबाद।।

-आर.एस.’प्रीतम’

राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
————————————-
सर्वाधिकार सुरक्षित–radheys581@gmail.com

Language: Hindi
262 Views
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