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25 Dec 2017 · 1 min read

करो मित्रता कृष्ण द्रोपदी सी

बनो तुम मित्र बेशक,
मित्रता से नहीं परहेज मुझे,
जोड़ो एक नेह का बंधन,
करो मित्रता कृष्ण द्रोपती सी,
साझा करेंगे हम अपने विचार,
सीखेंगे और सिखाएंगे,
मैं तुम्हें धीरज धरना सिखाऊँ,
तुम सिखाना मजबूत रहना मुझे,
रूठेंगे और मनाएंगे दौनों,
तुम्हारे क्रोध पर मैं,
चन्दन का लेप लगाऊंगी,
मेरे क्रोध पर तुम उड़ेलना ,
चंदा सी शीतलता,
भुलाकर अपनी -अपनी उदासियाँ,
खिलखिलायेंगे दौनों साथ -साथ,
तुम बनना दृण संबल मेरे,
मैं दूँगी आस्था की शक्ति तुम्हें,
मिलकर दुखों को कैद कर देंगे एक परिधि में,
और विस्तारित कर लेंगे खुशियाँ साथ -साथ,
पर मत रचना आडम्बर मित्रता का,
देह पर दृष्टि रखकर ,
मत पहनना मुखौटा अपनेपन का,
मन में कोई दुराव रखकर,
क्योंकि विश्वास टूटने पर ,
सम्भव नहीं हो पाता,
नजरों में उठना कभी,
जीवित नहीं रह पाती मित्रता कोई।

Language: Hindi
782 Views
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