Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2020 · 1 min read

करो ना

क्या है भारत के अंदर सभी मानव समाज का जीवन हुआ है बस्तर। लेकिन समझ नहीं पाया है इस खौफनाक खौफनाक प्रचार को। डॉक्टर खुद घबरा है देखकर मरीज को। क्या यह चीन की चाल थी जो दुनिया भर में मचे बवाल थी। करो ना कोई जैविक हथियार था। यार भयभीत एक प्रचार था। हमने सच्चाई जाने बगैर ही डर गए थे। इलाज कौन करेगा जब डॉक्टर ही डर गए थे। हम हर समय इतने भयभीत हो जाते हैं। की लड़ने से पहले हार मान जाते हैं

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 471 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
दोस्तों के साथ धोखेबाजी करके
ruby kumari
If we’re just getting to know each other…call me…don’t text.
If we’re just getting to know each other…call me…don’t text.
पूर्वार्थ
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
डी. के. निवातिया
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
Anand Kumar
Micro poem ...
Micro poem ...
sushil sarna
पहली बारिश मेरे शहर की-
पहली बारिश मेरे शहर की-
Dr Mukesh 'Aseemit'
आपको डुबाने के लिए दुनियां में,
आपको डुबाने के लिए दुनियां में,
नेताम आर सी
Keep yourself secret
Keep yourself secret
Sakshi Tripathi
!! ख़ुद को खूब निरेख !!
!! ख़ुद को खूब निरेख !!
Chunnu Lal Gupta
कुंडलिया
कुंडलिया
गुमनाम 'बाबा'
गुजरा वक्त।
गुजरा वक्त।
Taj Mohammad
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वेदनामृत
वेदनामृत
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
* का बा v /s बा बा *
* का बा v /s बा बा *
Mukta Rashmi
दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी
दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी
Harminder Kaur
जीनते भी होती है
जीनते भी होती है
SHAMA PARVEEN
मेरी पहली चाहत था तू
मेरी पहली चाहत था तू
Dr Manju Saini
*सौलत पब्लिक लाइब्रेरी: एक अध्ययन*
*सौलत पब्लिक लाइब्रेरी: एक अध्ययन*
Ravi Prakash
इश्क़ का मौसम रूठने मनाने का नहीं होता,
इश्क़ का मौसम रूठने मनाने का नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
* चली रे चली *
* चली रे चली *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जो कायर अपनी गली में दुम हिलाने को राज़ी नहीं, वो खुले मैदान
जो कायर अपनी गली में दुम हिलाने को राज़ी नहीं, वो खुले मैदान
*प्रणय प्रभात*
2604.पूर्णिका
2604.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
पुस्तकों से प्यार
पुस्तकों से प्यार
surenderpal vaidya
महसूस तो होती हैं
महसूस तो होती हैं
शेखर सिंह
सबला
सबला
Rajesh
जीयो
जीयो
Sanjay ' शून्य'
जिंदगी एक सफर
जिंदगी एक सफर
Neeraj Agarwal
मैं तो महज एक नाम हूँ
मैं तो महज एक नाम हूँ
VINOD CHAUHAN
"अवसाद"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...