करुण स्वर
आंखों में अपने आंसु छिपाकर
रहती हूं घर में, मै मुस्कुराकर
कैसे बताऊं ममता की आंचल
रोती है मां उसमे तुमको ना पाकर
बांहों को अपने, उनको थमाकर
रहती हूं घर में, मै मुस्कुराकर
ऐसी भी क्या ज़िन्दगी की जरूरत
पर देखती हूं, हर जगह तेरी सूरत
टूटी हूं पर, रहती सबसे छिपाकर
रहती हूं घर में, मै मुस्कुराकर
वादा किए थे उठाएंगे डोली
रोते हुए, बहन मुझसे बोली
कर दी विदा उसकी डोली सजाकर
रहती हूं घर में, मै मुस्कुराकर
तेरी कमी को सबसे छिपाया
यादों से तेरी जीवन सजाया
कैसे कहूं रात कितनी अकेली
एक चांद तनहा, मै उसकी सहेली
रातों को अपने गम में भुलाकर
रहती हूं घर में, मै मुस्कुराकर।