करुण शहर है मेरा
करुण शहर है मेरा,
यहाँ हर गली में अनकही कहानी है,
चुप्पी की चादर ओढ़े,अम्मा बैढ़ी है
हर चेहरे पर ग़म की एक निशानी है।
सपनों की किताबें यहाँ बिखरी हैं,
हर पन्ना धुंधला,जैसे कोई भूली हुई बात,
खुशियों की परछाइयाँ कहीं,
बस खोई हुई एक अदृश्य कहानी है।
हर मोड़ पर गुमशुदा ख्वाबों के साए,
कोने में एक बच्चा है , रोते हुए,
खेलता है धूप में,अब
उसकी आँखों में बस एक लहर है।
आसमान पर चाँद की चाँदनी,
यहाँ बेदर्दी से चमकती,
आँखों में एक आंसू,
जैसे कोई विस्मयकारी कहानी है।
सड़कें चुप हैं, दिलों में गुमशुदा है,
हर कदम पर एक आस है,
फिर भी खालीपन गहराता,
जैसे सुबह की किरणें संकोच में आती हैं।
करुणा का सागर है यहाँ,
हर लहर में बसा दर्द है,
फिर भी उम्मीद का दीप जलता,
जैसे अंधेरों में एक शब्द की निशानी है।
हर आँख में बसी है एक ख्वाहिश,
एक नई सुबह की चाह,
करुण शहर है मेरा,
पर दिल में हर रंग की कहानी है।
—श्रीहर्ष —-