करवाचौथ
करवाचौथ का दिन होता हैबहुत खास
भार्यां चाँद से करे भर्या दीर्घायु अरदास
तारों की छाँव में खा पीकर करे तैयारी
नहा धोकर सजती संवरती उस प्रभात
नई पहन पोशाक करती सोलह श्रृँगार
सजधज करें सबसे सुंदर दिखने प्रयास
सारा दिन रह भूखी प्यासी बिन विश्राम
पिया श्री की उम्र बढ़े मन में होती आस
सुंदरता की जीती जागती होती प्रतिमा
कैसा भी हो भरतार रखतीं हैं उपवास
निठल्ला हो या कामकाजी कांतास्वामी
जो होता सिरताज सिरजनहार घरवास
करती अथक घरकार करे चाँद प्रतीक्षा
खुश दिखती है पर सहती हैं भूख प्यास
चाँद निकलता होती है हर्षित प्रफुल्लित
झुमती अंखियां करें साजन दर्शन प्रयास
छलनी में देख भर्या अर्क चढा देखें चाँद
चरण स्पर्श कर भरतार खोले हैं उपवास
जलअन्न ग्रहण कर पूरा होता करवाचौथ
सुहागिनों का पूरा होता है सार्थक प्रयास
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आरती कर जल ग्रहण करती है विश्राम