करवाचौथ
दोहा
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माथे पर कुमकुम रहे ,हाथ पिया का हाथ
सदा सुहागन सब रहें, रहे पिया का साथ
कुण्डलिया
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चन्दा करवाचौथ का, नीलगगन का ताज
नखरे ये कितने दिखा,सजधज निकला आज
सजधज निकला आज, त्योरियाँ चढ़ी हुई हैं
शरारतें पर खूब, देखिये बढ़ी हुई हैं
रहे खेलता खेल,दिखे पहले कुछ मंदा
लेकिन सबकी जान, आज है ये ही चंदा
डॉ अर्चना गुप्ता