करवाचौथ
उधर बरसती चाँदनी, इधर बरसता प्यार
आया करवाचौथ का, मन भावन त्यौहार
रक्खा करवाचौथ का,है निर्जल उपवास
चंदा के दीदार की , लागी मन में आस
आज गगन के चाँद से, बस इतनी अरदास
मेरा अपना चाँद ये ,रहे हमेशा पास
कुमकुम बिंदी चूड़ियाँ, साजन से शृंगार
चाँद हमारे चाँद पर, बरसाना तुम प्यार
महकी महकी है हिना, चमक रहा सिंदूर
खिली चाँदनी रात में, रूप सजा भरपूर
आया करवाचौथ है, छतें हुईं गुलजार
चाँद गगन का एक है, धरती भर भरमार
छलनी में दो चाँद हैं, सजनी देख निहाल
और उतारे आरती, पूजा का ले थाल
चंदा करवाचौथ का, लाया खूब बहार
दूर गिले शिकवे हुये, बही प्रेम रसधार
कुण्डलिया
आना जल्दी चाँद तुम, सुनो आज की रात
दे जाना सौभाग्य की, तुम सबको सौगात
तुम सबको सौगात,चौथ के चंदा प्यारे
रहे सजन का हाथ, सदा ही हाथ हमारे
कहे ‘अर्चना’ बात, नहीं नखरे दिखलाना
देखेंगे हम बाट, हमारी छत पर आना
मुक्तक
हर दिन होता चौथ सवेरा
चाँद रात को डाले डेरा
साथ पिया का जबसे पाया
खुशियों का नित लगता फेरा
24-10-2021
डॉ अर्चना गुप्ता