करवाचौथ (कुंडलिया)
करवाचौथ (कुंडलिया)
हर दिन करवा चौथ हो, मिलें परस्पर मीत।
गीत अधर पर रहें सदा, नयनों में संगीत।।
नयनों में संगीत, कभी न कटु बचन कहतीं।।
पति व्यसन से दूर, वे उम्र सुहागन रहतीं।
कह ‘बाबा’ कविराय, है भली क्लेश से मौत।
करें सदा सम्मान, तो हर दिन करवा चौथ।।
©दुष्यंत ‘बाबा’