करवट हर रुकी बात दे रही
तेरी खुशबू छू रही हे जो ठहरी है कल की
कुछ रात की कुछ सुबह की याद दे रही
आसमान तक झांके जिसको खिड़की से आके
वो मुलाक़ात सिरहाने को तकिया दे रही
बातें छांटें बातो में बातें रुकी आके
वो रातें जिन्हें आँखें सपनो का पानी दे रहीं
बदले बदले लगे सुबह को तकिये सिरहाने
जिनकी बांहो को करवट हर रुकी बात दे रही