करता नहीं यह शौक तो,बर्बाद मैं नहीं होता
करता नहीं यह शौक तो, बर्बाद मैं नहीं होता।
तन्हा नहीं मैं ऐसे होता, बदनाम मैं नहीं होता ।।
करता नहीं यह शौक तो————————।।
होश में रहा नहीं मैं , आई जब जवानी मेरी।
करता नहीं मैं इश्क तो, हाल यह नहीं होता।।
करता नहीं यह शौक तो———————।।
बाँहों में रहती थी कलियां, खेलता था मैं उनसे।
लगाता नहीं इनको गले तो, कमजोर मैं नहीं होता।।
करता नहीं यह शौक तो————————-।।
हसीनाओं का दीवाना था, सजती थी हरदिन महफ़िल।
करता नहीं इनसे दोस्ती तो, घर में अंधेरा नहीं होता।।
करता नहीं यह शौक तो—————————।।
साथ नहीं मेरे अब कोई, नाराज मुझसे सभी हो गए।
यह इश्क है लाइलाज रोग, मरहम इसका नहीं होता।।
करता नहीं यह शौक तो—————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)