क्या कहें
बीते लमहो की बात क्या कहें
वे बीते लमहो की बात क्या कहें
अपनो के बिना काटे नहीं जाते और बिताये भी नहीं जाते
गैरो की क्या बात करते दोस्तों
यहां तो अपनो ने ही दिये जख्मों को दिल में छिपाये बैठे हैं,
जो छिपाये भी नहीं जाते और बताये भी नहीं जाते