Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2024 · 7 min read

करतार चाचा

करतार चाचा

एअरपोर्ट पर करतार चाचा लेने आए थे, जैसे ही मृदु ने उन्हें देखा , उसका दिल भर आया , कभी नहीं सोचा था कि एक दिन करतार इतना अपना हो जायगा।

वह पांच साल की थी , जब यह लम्बा चौड़ा करतार पहली बार उनके घर आया था , उम्र होगी यही कोई इक्कीस, बाइस साल , शर्माता सा आंगन में पापा के सामने खड़ा था।

पापा मम्मी से कह रहे थे , “ यह हमारे गाव के मैनेजर पहलवान का बेटा है, दसवीं पास है , यहां हमारी फैक्ट्री में नौकरी करेगा , इसके लिए पीछे वाली कोठरी खुलवा दो , और यह खाना कुछ दिन हमारे साथ खायगा, बच्चा है धीरे धीरे अपना खाना बनाना सीख जायगा। ”

मम्मी करतार को देखकर मुस्करा दी , “ चल पहले खाना खा ले , फिर कोठरी खोल देंगे। ”

वो वहीँ वरांडे में सकुचाता सा पटरी बिछा कर बैठ गया। मम्मी ने उसके सामने खाने की थाली रख दी , एकबार खाने लगा तो सकुचाना भूल गया , इतनी रोटी खा गया कि उसके जाने के बाद मम्मी ने कहा , “ पूरा बकासुर है। ”

पर वो बकासुर इतनी जल्दी घुलमिल गया कि, जब जिसको जैसी जरूरत होती , वो उसी रूप में ढल जाता , मृदु के साथ वो लूडो खेलता , उसको साइकिल की सैर कराता , घर में मेहमान आ जाते तो ट्रे उठाकर इधर उधर भागता , पापा ऑफिस से आ जाते तो उनके पीछे ट्रक पर सामान लदवाता, बैंक के काम करता , पापा की गाड़ी चलाता, वो बस हरफनमौला था।

फिर एक दिन कारगिल की जंग छिड़ गई , और पापा ने बताया करतार सेना में भर्ती हो गया है।

और कुछ ही दिन में सब करतार को भूल गए , सब अपनी ज़िंदगी के पुराने ढर्रे पर लौट गए।

छ महीने बीत गए थे जब से वो गया था , एक दिन मृदु शाम के वक़्त गली में खेल रही थी कि उसने दूर से पापा को किसी फौजी के साथ आते देखा , ध्यान से देखा तो करतार था ,” अरे करतार तूँ ! “ मृदु ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा। करतार शर्माकर मुस्करा दिय।

मृदु खेलकर घर आई तो आश्चर्य से देखा , करतार सोफे पर बैठा पापा के साथ चाय पी रहा है , मृदु ने पास आकर कहा , “ करतार तू तो बिलकुल बदल गया है। “

“ करतार नहीं , करतार चाचा , वो देश की रक्षा के लिए अपनी जान पर खेल कर आया है। “ पापा ने करतार के कंधे थपथपाते हुए कहा ।

“ जी पापा। ” और मृदु ने बड़े आदर के साथ सलूट ठोक दिया , पापा हस दिए और करतार ने मुस्कराकर उसका सिर थपथपा दिया।

करतार जाने लगा तो मम्मी ने उसे एक पैकेट थमा दिया , “ ये तुम्हारी बहुरिया के लिए है। ” करतार ने आदरपूर्वक ले लिया।

दिन , महीने , साल बीतते रहे , करतार फिर कभी नहीं आया , उसकी चिठ्ठी जरूर पापा के पास नियम से आ जाती , जिसमें उसकी जिंदगी में क्या हो रहा है , उसका पूरा ब्यौरा होता , पापा को अब वह साहब की जगह बाबूजी लिखता था, मम्मी को माँ जी, और मृदु के लिए दीदी लिखता था ।

मृदु की शादी हो गई और वह अमेरिका चली गई। मम्मी और पापा एकदम अकेले पड़ गए, मृदु को अपराध बोध सताने लगा , इतने में कोविड आ गया और दुनिया जहां थी वहां ठहर गई, मृदु दिन रात अपने मम्मी पापा के स्वास्थ्य के लिए डरने लगी , और फिर एक दिन वीडियो कॉल पर देखा उनके साथ करतार बैठा है , मृदु ने राहत की साँस ली , उसे लगा अब सब ठीक है।

“ घबराओ मत दीदी , मैंने प्रेीमैचयोर रिटायरमेंट ले ली है , और जब तक सब सामान्य नहीं हो जाता मैं यहाँ रहूँगा ।”

“ और तुम्हारा परिवार ? “

“ वे सब गाँव में हैं , ठीक हैं ।”

मृदु ने देखा कुछ ही दिनों में उसके माँ बाप जवान लगने लगे हैं , उनसे जब भी बात करो , उनकी हर बात में करतार का जिक्र होता, यहां तक कि मृदु को कभी कभी थोड़ी जलन सी हो जाती।

फरवरी 2021 आया, और लगा , विनाश का समय आ पहुंचा , मृदु को ऐसा लगता , जैसे उसका देश तड़प रहा है , कोविड से मरने वालों की संख्या रोज़ बढ़ रही थी, और फिर माँ और पापा भी बारी बारी से उसकी चपेट में आ गए। करतार दिन रात उनकी सेवा कर रहा था , ज़ूम पर उनसे बात करा देता , लग रहा था , सब ठीक हो जायगा, फिर एक दिन मम्मी नींद में ही चल बसीं। मृदु ने ज़ूम पर करतार को माँ के सारे संस्कार करते हुए देखा। पापा कोविड से निकल आये थे , परन्तु दो महीनों बाद उन्हें ब्रेन हेमराज की वजह से पैरालिसिस हो गया , और उन्हें हस्पताल रखना पड़ा , करतार ने बेटे से बढ़ कर सेवा की , परन्तु पापा को बचा नहीं पाया , मृदु ने एकबार फिर से करतार को पुत्र का फ़र्ज़ निभाते देखा।

आज वो उनकी मृत्यु के बाद पहली बार भारत लौट पाई है।

टैक्सी में बैठते ही करतार ने कहा , “ आपका बंगला साफ़ करवा दिया है , मेरी पत्नी रात को रहने के लिए आपके पास आ जायगी। ”

“ और तुम ?”

“ मैंने एक छोटा सा फ्लैट यहीं शहर में ही ले लिया है , बाबू जी ने मदद करी थी ख़रीदने में ।”

मृदु ने मन में सोचा, चलो कुछ तो अहसान उतरा , “ और तुम्हारे बच्चे ?”

“ एक बेटा है आर्मी के मेडिकल कॉलेज में पूना में पढ़ता है। “

घर के सामने टैक्सी रुकी तो , मृदु का मन भर आया , अपनी नम आँखों से उसने कहा , “ करतार जो तुमने हमारे लिये किया है , उसका अहसान मैं कभी नहीं चुका सकूँगी , फिर भी कभी तुम्हारे लिए कुछ कर सकूँ तो ज़रूर बताना । ”

“ कैसी बातें करती हैं आप ! “ उसने पुराने दिनों की तरह शर्माकर कहा।

इस पुराने करतार की झलक पा, मृदु का मन खिल उठा , एक पल के लिए उसकी इच्छा हुई वह इस आदमी से लिपटकर जी भर कर रोये ।

वो भीतर आये तो एक लड़का उनके पीछे पीछे बड़ा सा टिफ़िन लेकर आ गया।

“ ये कौन है ? “

“मेरा बेटा है , अजय ।”

“और अजय ने आगे बढ़कर पैर छू लिए।

“ छुट्टी में घर आया हुआ है , खाना लाया है घर से , हमने सोचा, अभी बिमारी गई नहीं है पूरी तरह से, आप बाहर का न खायें तो बेहतर होगा ।”

करतार के इस अपनेपन से मृदु का मन फिर भीगने लगा ।

“ आप चाय पियेंगी न ? “ अजय किचन से दो कप चाय ले आया , “ मैं कल यहाँ सारा सामान रख गया था ।” उसने चाय थमाते हुए कहा ।

देर शाम तक करतार सारा हिसाब समझाता रहा, घर के काग़ज़, प्लांट के काग़ज़, फिक्स्ड डिपाजिट,लाकर की चाबियाँ , गहने , और भी न जाने क्या क्या।

” मैं कल आऊँगा, आज आराम कर लो, कल से काम शुरू करेंगे, फिर एक दिन पूजा भी रखेंगे, आपके सब रिश्तेदारों को बुलाकर, ब्राह्मण भोज भी करना है। ” करतार ने कहा ।

करतार चला गया तो वो घर का एक एक कोना सूँघने लगी, अजीब सुकून मिल रहा था उसे सिर्फ़ इस घर में साँस लेने मात्र से ।

समीर का अमेरिका से फ़ोन आया तो जैसे वो तंद्रा से जाग गई ।
“ हलों , सब ठीक है न ? “ दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई ।
हाँ , सब ठीक है ।” मृदु ने अनमने भाव से कहा ।
“ करतार ने सब हिसाब दे दिया ठीक से ?” समीर ने पूछा ।
“ हाँ “ कहते हुए मृदु का गला रूँध गया ।
“ तुम होटल में क्यों नहीं शिफ़्ट हो जाती ?” समीर ने कहा ।
सुनकर उसका मन हुआ वो फ़ोन पटक दे , पर सँभल कर बोली,
“ सब ठीक है, करतार ने सारा इंतज़ाम कर दिया है ।” मृदु ने अपने स्वर की नमी छुपाने का प्रयत्न करते हुए कहा।
“ उससे सँभल कर रहना , वह इतनी तकलीफ़ क्यों उठा रहा है ?”
मृदु ने कोई जवाब नहीं दिया तो फिर बोला, “ पापा उसको कुछ देकर गए हैं क्या ?”
मृदु के लिए अब यह बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, उसने विषय बदल दिया, और किसी तरह बातचीत को समाप्त किया ।

रात को करतार की पत्नी संतोष आ गई, आते ही ऐसे गले लगाया जैसे जन्म से कोई आत्मीय हो । देर रात तक बकबक करती रही, फिर यह फ़ैसला भी सुना दिया कि जब तक मृदु भारत में है , वो घर नहीं जायगी, यहीं रहकर उसका ध्यान रखेगी ।

“ अजय भी तो छुट्टी पर आया है, उसका ध्यान कौन रखेगा ? “

“ वो अपने पापा के साथ है, यहाँ इतने बड़े घर में आप अकेले हो ।”

करतार दिन रात भागदौड़ करके सारे काम निपटाता रहा , हर जगह मृदु के साथ जाता ,धूप होती तो मृदु के लिए छाया की तलाश करने लगता , खड़ी होती तो कहीं से कुर्सी ढूँढ लाता , पानी की बोतल, खाने का सामान, दो ही दिन में मृदु को लगने लगा , जैसे कोई महारानी हो , अपने पापा के कंधे पर सवार ।

हवन हो चुका था, सारे रिश्तेदार अपनी सहानुभूति देकर जा चुके थे , बस, अब कल वापिस जाना था , मृदु अपने विचारों में लीन गुमसुम बैठी थी , कि करतार ने कहा ,
“ ये लीजिये दीदी ।”
“ यह क्या है ?”
“ बेसन के लड्डु , समीर जी के लिये , माँ जी ने बताया था कि दामादजी को बहुत पसंद हैं ।”
“ और मेरे लिए ? “ उसने नम आँखों से मुस्कुराकर पूछा ।
करतार की आँखें नम हो आई, “ आपके लिए तो बस हमारा आशीर्वाद है ।”
सुनकर मृदु खड़ी हो गई और उसने करतार के पैर छू लिए,
“ छी यह क्या कर रही हो, बेटियाँ पैर नहीं छूती ।”
करतार ने उसे गले लगा लिया , और मृदु उस दिन पहली बार मम्मी पापा की याद में खुलकर रोई ।

टैक्सी आ गई थी , मृदु ने घर की चाबी संतोष को पकड़ाते हुए कहा , “ चाची , ये लो अपने घर की चाबियाँ , तुम हो तो मेरा मायका है ।”

“ नहीं दीदी, घर इस बार नहीं तो अगली बार बिक जायगा , इतनी बड़ी ज़िम्मेवारी हम नहीं ले सकते ।” करतार ने कहा ।

“ तो चाचा, अब मैं ज़िम्मेवारी हो गई हूँ ? ये हैं फ़ैक्टरी के काग़ज़, अब यह तुम्हारी हुई , इतनी जल्दी रिटायर होने से काम नहीं चलेगा ।”

करतार ने कहा, “ फ़ैक्टरी हम चला देंगे , परंतु अपनी तनख़्वाह से ज़्यादा कुछ नहीं लेंगे ।”

“ अच्छा देखेंगे ।” मृदु ने मुस्कुराकर कहा ।

जहाज़ में वो खिड़की से बाहर झाँक रही थी , देश छूट रहा था ,और वह सोच रही थी, माँ बाप भी बच्चों के लिए कैसी कैसी विरासत छोड़ जाते हैं , करतार को दिया उनका स्नेह, कैसे कई गुणा बढ़कर उसके पास लौट आया है ।

———शशि महाजन

53 Views

You may also like these posts

रोना ना तुम।
रोना ना तुम।
Taj Mohammad
4142.💐 *पूर्णिका* 💐
4142.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Trải nghiệm thế giới casino đỉnh cao với hàng ngàn trò chơi
Trải nghiệm thế giới casino đỉnh cao với hàng ngàn trò chơi
Vin88
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
surenderpal vaidya
बुझ दिल नसे काटते है ,बहादुर नही ,
बुझ दिल नसे काटते है ,बहादुर नही ,
Neelofar Khan
अगर पात्रता सिद्ध कर स्त्री पुरुष को मां बाप बनना हो तो कितन
अगर पात्रता सिद्ध कर स्त्री पुरुष को मां बाप बनना हो तो कितन
Pankaj Kushwaha
एक चाय तो पी जाओ
एक चाय तो पी जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल
Ranjeet kumar patre
जय माँ शैलपुत्री
जय माँ शैलपुत्री
©️ दामिनी नारायण सिंह
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
प्रेम की भाषा
प्रेम की भाषा
Kanchan Alok Malu
Ultimately the end makes the endless world ....endless till
Ultimately the end makes the endless world ....endless till
सिद्धार्थ गोरखपुरी
........?
........?
शेखर सिंह
कविता
कविता
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
आस्था विश्वास पर ही, यह टिकी है दोस्ती।
आस्था विश्वास पर ही, यह टिकी है दोस्ती।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
Stop use of Polythene-plastic
Stop use of Polythene-plastic
Tushar Jagawat
श्री कृष्ण ने साफ कहा है कि
श्री कृष्ण ने साफ कहा है कि
पूर्वार्थ
छलिया तो देता सदा,
छलिया तो देता सदा,
sushil sarna
डॉ अरुण कुमार शास्त्री 👌💐👌
डॉ अरुण कुमार शास्त्री 👌💐👌
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रतिभा! ईश्वर से मिलती है, आभारी रहे। ख्याति! समाज से मिलती
प्रतिभा! ईश्वर से मिलती है, आभारी रहे। ख्याति! समाज से मिलती
ललकार भारद्वाज
साथ बिताए कुछ लम्हे
साथ बिताए कुछ लम्हे
Chitra Bisht
खतडु कुमाउं गढ़वाल के बिच में लड़ाई की वजह या फिर ऋतु परिवर्तन का त्यौहार
खतडु कुमाउं गढ़वाल के बिच में लड़ाई की वजह या फिर ऋतु परिवर्तन का त्यौहार
Rakshita Bora
तुम्हें पाने के लिए
तुम्हें पाने के लिए
Surinder blackpen
ये एक तपस्या का फल है,
ये एक तपस्या का फल है,
Shweta Soni
पुरानी यादों
पुरानी यादों
Shriyansh Gupta
*सूरत के अपेक्षा सीरत का महत्व*
*सूरत के अपेक्षा सीरत का महत्व*
Vaishaligoel
जिन्दगी यह बता कि मेरी खता क्या है ।
जिन्दगी यह बता कि मेरी खता क्या है ।
Ashwini sharma
"" *रिश्ते* ""
सुनीलानंद महंत
*शिशुपाल नहीं बच पाता है, मारा निश्चित रह जाता है (राधेश्याम
*शिशुपाल नहीं बच पाता है, मारा निश्चित रह जाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
manjula chauhan
Loading...