कमी
पाकर भी सब कुछ।
जिंदगी मे कमी सी क्यों हैं।। जो न सोचा था उसे भी पाकर ।।
बेबसी सी क्यों हैं। जिंदगी ने सब कुछ दिया हमें ।।
फिर भी दिल के सुकून की कमी सी क्यों हैं।। न चाहकर भी कुछ सपने हो गए पूरे।।
फिर भी जिंदगी मे इक सपने की कमी सी क्यों हैं।। यूं तो कहने को सभी कहते हैं।।
मैं खुशकिस्मत हूं।। फिर भी मन मे खुशी की कमी सी क्यों हैं।।
मैं शायद सभी से प्यार करती हूं लेकिन ।।
ये दुनिया फिर भी मुझसे खफा सी क्यों हैं।।
मेरी जिंदगी मे विश्वास की कमी सी क्यों हैं।। ् अपने पूछते हैं आंखों मे नमी सी क्यों हैं।।
पाकर भी सब कुछ जिंदगी मे कमी सी क्यों हैं।।।
कृति भाटिया।।