कमी कुछ भी नही
कमी कुछ भी नही,
फिर भी कमी सी लगती हैं।
ये आसमां ये जमीं ,
कुछ थमी सी लगती हैं।
बहती हुई कश्ती को
एक किनारा चाहिए।
इस बेनाम जिंदगी को
एक सहारा चाहिए।
बिन उम्मीद जिंदगी ये,
डगमगी सी लगती हैं।
खुशियां ही हो जिंदगी में,
ये आसां नही होता।
दर्द अपना हर किसी से ,
बयां नही होता।
बिन अपनों के जिंदगी ये ,
अजनबी सी लगती हैं।
हर दुःख में जो ,
अपने साथ देते हैं।
वही न जाने क्यूँ,
फिर दर्द देते हैं।
बिन चैन जिंदगी अब,
बेबसी सी लगती हैं।