कमिशन
एक भक्त को हुई संसार से विरक्ती.
करने की ठाणे भगवान की भक्ती.
भक्ती मे उसने अभी लगाया ही था मन.
ते तत्काल हुआ वहा एक देव का आगमन.
भक्त को हुई बडी ही हैरानी.
पलभर की भक्ती मे कैसे हुई है करनी.
भक्त ने किया भगवान से सवाल.
भगवान बोले चुपकर क्यो मचाता है बवाल.
गुठली क्यू गिनता है आम से रख मतलब.
पुरी करूंगा मै तेरी हर किस्मत की तलाब.
करदे उजागर तू अपनी हर चाहत.
मत उठा अब तू भक्ती की जहमत.
इतना कर दुंगा मै तुझे मालामाल.
की तेरी सात पुस्ते भी नही रहेगी कंगाल.
करदे अपनी बेहाली को तू आज फना..
और पुरी कर ले मुझसे तू अपनी हर तमन्ना
भक्तने सोचा भगवान ले रहा है इम्तिहान.
इसलिये उसने अपना डोलने न दिया इमान.
भक्ती की धुन मे वो भगवान से बोला.
मत दिखा भगवान मुझे ये लालच का हिंडोला.
इस संसार से आई है मुझे अब विरक्ती.
करणे दे अब तू मुझे सिर्फ तेरी ही भक्ती.
भक्ती करके अब मै बनना चाहता हु संन्यासी.
मत लगा अब तुम मुझे ये लालच की फांसी.
भक्ती मे अब मै तेरी होना चाहता हू मगन.
इस संसार से उब गया है अब मेरा मन.
बस अब छोटी सी है मेरी ये चाहत.
बना ले अब तू मुझे अपना एक भक्त.
अरे ये क्या मंगता है मांग धन संपत्ती.
कलियुग मे कैसी भक्ती और कैसी विरक्ती.
नेता बनकर देश का तू हो जा मालामाल.
क्यू रहना चाहता है तू बद हाल कंगाल.
नही चाहिये धन मुझे नही चाहिये संपत्ती.
छल प्रपंच की दुनिया से अब आई है मुझे विरक्ती.
मोहमाया का अब तुम मुझे ना लगा पाश.
तेरी भक्ती करके मुझे अब तू लेने दे संन्यास.
भगवान ने दिये भक्त को कई तरह के प्रलोभन.
पर भक्तका ढला नही अटल मन.
चिढकर भगवान ने भक्त को लगाई फटकार.
तेरी वजह से हुआ मेरे कमिशन का बंटाधार.
लेकिन भक्त को जबतक समझ आया मतलब.
भगवान हो चुके थे तब तक गायब.
जिसे वो समझ रहा था इम्तिहान.
उसके लिये था वो एक मौका महान.
भक्तने लगाई फिरसे गुहार.
लेकिन दुबारा नही हुआ भगवान का दीदार.
इम्तिहान समझ उसने मौका था गमाया.
विरक्ती के पागलपन मे दिमाग था भरमाया .
मौका गवा कर भक्त करने लगा था रुंदन.
और भगवान करने लगे दुसरे भक्त का संशोधन.