कभी
कभी जो मिलो , तो जाने की जल्दी ना करना । फ़ुरसत में तो हम भी नहीं होंगे , पर आंखो से ओझल हो जाएं तो फिर अफसोस मत करना ।।
-फिर मिलने कि चाह रखकर , तुम चले ना जाना । मुदत्ते हो जाती है एक झलक पाने में ।।
– मेरे शहर में रहकर तुम , मुझसे ही रूठ बैठे ।
थोड़ा इशारा तो दिया होता , मुझे तुम्हे मानने का ।।
– आरज़ू मेरी बस इतनी है कि तुम खुश रहो ।
मगर इसका ये तो मतलब नहीं ,की तुम मुझसे ही दूर रहो ।।
– हर शामे तुम्हरे इंतजार में , अक्सर गुजार दिया करता हूं ।
सोचा कभी तो आओगी तुम मेरी ज़िन्दगी में रोशनी लेकर ।।
– कभी मिलकर तुमने ,साथ निभाने के वादे किए थे । पर तुम, कभी ना मिलने का वादा करके कहा चले गए ।।
– बारिश से दोस्ती करके मैने ,खुद को ही भीगा लिया । अच्छा सबक दिया ठोकर ने , मुझे गिरते गिरते उठा दिया ।।
– लोगो ने कहा कि मत पड़ प्यार के पीछे ,एक दिन रोएंगा ।
कमबख्त उन्हें कहा पता था कि में लड़की से नहीं दोस्तो की दोस्ती पर मरता था ।।
– ए ज़िन्दगी तू कब तक मुझे यू गिराएगी ।
थोड़ा सब्र कर , अपनी किस्मत खुद अपने कर्म से लिख जाएंगी ।।
– में अक्सर बुरा बन जाता हूं , जब कुछ करता है अपनों की सोचकर चलता हूं ।
शायद मतलनी होना सबसे बेहतर है इस ज़िन्दगी में ।