कभी…..
लिख देता हू जिंदगी को
थोड़ा अधकटे पन्नों में
थोड़ा सुलझी राहो में
थोड़ा अनसुलझे किस्सों में
थोड़ा गुनगुनाती जिंदगी में
थोड़ा कपकपाती बेरुखी में
थोड़ा हसीं में थोड़ा ख़ुशी में
तो थोड़ा गमो के पन्नों में
कभी आशावो को भरने में
कभी निराशावो से उबरने में
कभी गुदगुदी में हँसाने में
कभी खुद को गुदगुदी करके रुलाने में
कभी बचपन को असहास करने में
कभी असहास को नजरअंदाज करने में
कभी शौक पूरा करने में
कभी खुद के शौक मारने में
कही भरोसा बनने में
कभी भरोसा से भरोसा उठने में
लहू सा लिपट जाते है अक्सर हम
अक्सर खुद को ख़ुश करने में
बस थोड़ा बनने में
बहुत कुछ बनाने में
यू बीती जा रही है जिंदगी
बस सपनो के सपने सजाने में
#देव