कभी हमको भी याद कर लिया करो
कभी हमको भी याद कर लिया करो।
हमारे लिए भी वक़्त बचा लिया करो।।
कभी हमको भी याद——————–।।
रहते हैं उलझे हम, किसी ना किसी में।
किसी महफ़िल में, किसी की हंसी में।।
मिलता है जो भी, नहीं छोड़ता हमको।
खो जाते हैं उसमें, हम दिल्लगी में।।
आपकी महफ़िल में कभी तो।
आप हमको भी बुला लिया करो।।
कभी हमको भी याद————–।।
बात होने से वहम मिट जाता है।
चिराग खुशी का रोशन हो जाता है।।
दीवाली सी हो जाती है जिंदगी।
रिश्ता वह अटूट हो जाता है।।
खुशी अपनी हमसे भी।
कभी तुम बांट लिया करो।।
कभी हमको भी याद————-।।
बदनाम करें क्यों अपनी मोहब्बत।
मिटने दें क्यों हम अपनी शोहरत।।
हर जुबां पर हो अपने रिश्तों के नगमें।
नहीं होने देंगे गुमराह अपनी मोहब्बत।।
कभी खत तुम भी फुरसत में।
हमको भी लिख दिया करो।।
कभी हमको भी याद————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)