कभी हँसाती है जिन्दगी
कभी हमको हँसाती है कभी हमको रूलाती है
मिलन के गीत गाकर जिन्दगी तुझको पास लाती है
गुजरती हूँ गमों की छाँव हो जब ऐ जिन्दगी
सकूने तख्त भी मेरे लिए तू ही बिछाती है
नजर जब जब पड़ी अपनों पे सारे बेरहम दिखते
तभी तू पास आकर जिन्दगी मुझ पर लुटाती है
उठी है पीर दिल मेरे किसी की याद में ऐसी
विरह की अग्नि सुलगा दर्द अनुपम जगाती है
विद्यापति ने सुनाई कृष्ण राधे की बयानी जो
नये नित भाव भर कर के लगन वो ही लगाती है