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6 May 2018 · 1 min read

कभी हँसाती है जिन्दगी

कभी हमको हँसाती है कभी हमको रूलाती है
मिलन के गीत गाकर जिन्दगी तुझको पास लाती है

गुजरती हूँ गमों की छाँव हो जब ऐ जिन्दगी
सकूने तख्त भी मेरे लिए तू ही बिछाती है

नजर जब जब पड़ी अपनों पे सारे बेरहम दिखते
तभी तू पास आकर जिन्दगी मुझ पर लुटाती है

उठी है पीर दिल मेरे किसी की याद में ऐसी
विरह की अग्नि सुलगा दर्द अनुपम जगाती है

विद्यापति ने सुनाई कृष्ण राधे की बयानी जो
नये नित भाव भर कर के लगन वो ही लगाती है

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