कभी सोचता हूँ
कभी सोचता हूँ दीपक बनूँ
किसी घर को रौशन करूँ
कभी सोचता हूँ फूल बनूँ
किसी चमन में महका करूँ
कभी सोचता हूँ सितारा बनूँ
सदा आकाश में चमका करूँ
कभी सोचता हूँ वृक्ष बनूँ
कड़ी धूप में ठंडी छाया करूँ
कभी सोचता हूँ बादल बनूँ
प्यासी धरती पे बरसा करूँ
कभी सोचता हूँ सूरज बनूँ
धूप बनके जग में फैला करूँ