कभी रूठना है
कभी रूठना है तो कभी मान जाना है
अब तो मानो ये हर रोज का फ़साना हैं
आज सुबह से वो नाराज़ है हमसे
आज शर्ट का बटन खुद ही लगाना है
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar
कभी रूठना है तो कभी मान जाना है
अब तो मानो ये हर रोज का फ़साना हैं
आज सुबह से वो नाराज़ है हमसे
आज शर्ट का बटन खुद ही लगाना है
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar