कभी मैं सोचता था कि एक अच्छा इंसान बनना चाहिए तो दुनिया भी अ
कभी मैं सोचता था कि एक अच्छा इंसान बनना चाहिए तो दुनिया भी अच्छी बनेगी | मैं नकारात्मक हूँ तो क्या, लोगों को अच्छा बांटूगा तो
यहाँ सब लोग भी अच्छे और सच्चे बनेंगे | एक के गिरने पर दूसरा उसका मददगार बनेगा |
मगर मैं गलत था, कि मैं समझ नही पाया कि यहाँ ऐसे स्वार्थी भी है जो मदद लेना तो चाहते है पर देना नही |
इसलिए मैं भी स्वार्थ की नदियों में तैरने निकल पड़ा हूँ| किंतु प्रकृति के अन्य जीव मेरे परिवार का हिस्सा है | उनके प्रति दयाभाव कभी कम नही होगा | अब मुझे इंसान में इंसान देखने की आवश्यकता नही रही |
– जितेन्द्र कुमार