कभी मुझे पढ़ लेना तुम
कभी मुझे पढ़ लेना तुम
कभी मैं तुम्हे पढ़ लूँगा
पढ़ कर तुम्हारे जज़्बातों को
मैं कोरे पन्नो में लिख दूँगा
कभी जो मेरे सपने में तुम
चोरी से आ जाओगी
महफ़िल सजेगी सपनों में ही
तुम वापस ना जा पाओगी
अगर मैं सपनों में तुम्हारे आया
तुम कैद मुझे कर लेना
मीठी मीठी बाते कर फ़िर
मुझे ना जाने देना
जब भी तुम्हारे ख्यालों में
मैं डूबा रहता हूँ
उस दिन जग से भी खोया
हुआ मैं रहता हूँ
जब तुम ख्यालों में
मेरे डूबी रहती हो
क्या तुम भी ऐसी
जग से खोई हुई रहती हो
तेरी नील सी सुंदर आँखे
समुंद्र सी लगती है
जब भी देखूं नैना तेरी
गहराई सी दिखती है
कई बार तेरे खयालातों को
समझने की कशिश मैं करता हूँ
कुछ हदों तक तुझे मैं पढ़ लेता हूँ
क्या तुम भी मेरे खयालातों को
पढ़ने में दिन रात एक करती हो
कितने दिन और रातों को तुम
यूं ही ज़ाया करती हो
मैं अक्सर नैनो में तेरा
अक्स संजोए रखता हूँ
तेरी सूरत को मैं दिल में
लिए जीता हूँ
क्या तुम भी मेरे अक्स को
सँजो कर बैठी रहती हो
मेरी सूरत दिल में लिए क्या
तुम भी जिंदा रहती हो
तुमने नाजने कितनी रातों को
रतजगा करवाया है
इन रातों को नाजने तूने कितना
मुझे तड़पाया है
क्या मेरी ख़ातिर रातों को
रातजगी हो पाई हो
इन रातों को क्या मेरे लिए
तड़प पायी हो
अगर तुम मुझे कभी पढ़ लोगी
तो तुम्हे भी समझ आ जायेगा
दर्द का हर एक पन्ना तुम्हे
मेरे जज़्बात बतायेगा
डूबी रहोगी ख्यालों में तुम
उस दिन समझ में आएगा
मोती टपकेंगे नैनो से
दर्द कोरे पन्नो में बिखर जाएगा
सारी दुनिया बेगानी
और कोई मेरे सिवा अपना नज़र
नही आएगा
भूपेंद्र रावत
8।08।2017