कभी मिलोगी तब सुनाऊँगा
रोज़ आती हो तुम खयालों में।
हर जवाबों में हर सवालों में।
टूटता तन बदन तनहाई में।
याद आती हो हर अंगड़ाई में।
हर परछाईयों में तुम दिखती,
तड़प अपनी तुम्हें दिखाऊंगा।
लिखा है दर्द दिल का पन्नों पर,
कभी मिलोगी तब सुनाऊँगा।
✍️ मुन्ना मासूम