कभी मज़बूरियों से हार दिल कमज़ोर मत करना
कभी मज़बूरियों से हार दिल कमज़ोर मत करना
सफ़र काँटों भरा हो पर ग़ुलों को याद कर चलना
बड़ी हो सोच मानव की हिला कोई नहीं सकता
जहाँ बरगद वहाँ तरु और की फ़ीकी रहे तुलना
आर.एस. ‘प्रीतम’
कभी मज़बूरियों से हार दिल कमज़ोर मत करना
सफ़र काँटों भरा हो पर ग़ुलों को याद कर चलना
बड़ी हो सोच मानव की हिला कोई नहीं सकता
जहाँ बरगद वहाँ तरु और की फ़ीकी रहे तुलना
आर.एस. ‘प्रीतम’