कभी न होता
बेखौफ कभी जीना नहीं होता
जो सीमा पर तैनात सीना नहीं होता ।
अगर न होता वतनपरस्तों का पतझड़
तो हमारी जिन्दगी में बसंत का महीना नहीं होता ।
सरहद पे अगर उन्का ख़ुन पसीना न होता
कुर्बानी के फूल से जीवन गुँथा बीना न होता
अगर न होती मझधार में उन्की जिन्दगी
तो आपके जीवन में सफीना न होता ।
दुश्मनों के मंसूबे उन्की कारस्तानी
मुँहतोड़ जवाब देते तेवर तुफानी
अगर शौख से न झेलते सरहद की परेशानी
आपका हँसना खुशीयाँ मनाना
कभी वतनपरस्तों के बिना न होता।