कभी न खत्म होने वाला यह समय
कभी न खत्म होने वाला यह समय
हम समय को ही अपना गुलाम बना लेते हैं
और हम शहंशाह बन जाते हैं
हम ही सृष्टि के कर्ता है और हम ही सृष्टि के निर्माता है
यही आज के बने हुए बहरूपिया का सबसे बड़ा लक्षण है
सद्कवि प्रेमदास वसु सुरेखा