— कभी न कहना मैं हारा —
चल रे बन्दे
अपने पथ पर
रख के हौंसला
न डर , न खौफ्फ़ रख
चलते रहना अपनी डगर पर
ऊँचा नीचा बेशक मिले रास्ता
कभी न कहना मैं हारा
जब चलने का नाम है जिंदगी
फिर चलते रहना
न कहना की मैं हूँ हारा
मिलेंगे बहुत तुझे
जो गिरा सकते हैं हौंसला
पथ को तेरे कर सकते हैं
भ्रष्ट और कलकित
समझ दारी से चलना तू
रखना संभल के अपनी डगर
आंधी आये या आने लगे तूफ़ान
कोई न कुछ कर पायेगा
अगर होगी तुझ में हिम्मत
तो मंजिल जरूर अपनी पायेगा
आहिस्ता आहिस्ता चलना बेरुके
न करना कभी भी जल्दबाजी
तेरी इक छोटी सी नादानी
कभी भी पड़ सकती है भारी
इसलिए रखना धैर्य और ताकत
कभी न कहना मैं हूँ बेचारा
कभी न कहना कि मैं हारा !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ