कभी देखेंगे
गीत
कभी देखेंगे
करके हम भी प्यार कभी देखेंगे।
कर प्रियतम से इजहार कभी देखेंगे।।
जीवन मे जब आये गरीबी,
भागें दूर जब अपने करीबी,
क्या होते रिश्तेदार कभी देखेंगे।।
भाई से भाई न्यारे होंगे,
दौलत के बंटवारे होंगे,
कैसा होता परिवार कभी देखेंगे
बड़ा भवन मां बाप अकेले,
साथ साथ वो सुख दुख झेले,
सम्पत्ति के दावेदार कभी देखेंगे।।
खोया दिल मिल जाये जहां पर,
ले चल मुझको आज वहां पर,
कहां लगता वो बाजार कभी देखेंगे।।
हाथ जोड़ते होता प्रयोजन,
वोटों से मिलता न भोजन,
क्या अबकी करे सरकार कभी देखेंगे।।
बुढापा जब आएगा तन पर,
कोई जोर चलेगा न मन पर,
कैसा है मेरा दिलदार कभी देखेंगे।।
नव्ज़ जान ली कमजोरों की
जी हुजूरी की औरों की,
बिकते कैसेअधिकार कभी देखेंगे।।
कुटी बना जो भजन न करते,
झूठे ज्ञान से जेवें भरते,
ऐसे सन्तो का सत्कार कभी देखेंगे।।
शब्द भी करते प्रहार हैं,
साहित्यकारों के हथियार हैं,
हम अपनी कलम की धार कभी देखेंगे।।
भूखे चित्र पर नही लिखेंगे
मासूम बेबस जब भी दिखेंगे
करके जीवन उजयार कभी देखेंगे।।
किसकी खबर अब छप जाती है,
और किसकी छुप जाती है,
हर शहर के सब अखवार कभी देखेंगे।।
रिश्वत से रोजगार हैं मिलते ,
डिग्री लिए बेकार हैं फिरते,
क्यों निकले इश्तेहार कभी देखेंगे।।
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा
m/s खिरैंटी