कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये,
कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
लब पर दुआएं, आने से ना कतराए,
कि उन्हें पूरा करने, खुद सितारे जमीं पर आये।
आरजू ऐसी हो, जो दिल के दरवाज़े खटखटाये,
तेरी खुशबू से ये आँगन, फिर से महक जाए।
जुस्तजू तुझे कभी, यादों से खींच लाये,
हाथों में तेरा हाथ थामे, सफर भी मुस्कुराये।
ख्वाब तेरे साथ की, मेरी दुनिया को फिर सजाये,
खौफ के साये कभी, उस आसमां पर ना छाये।
एक बार तो ये एहसास, टूटने से खुद को बचाये,
ये खुशियां चंद पलों की, काश मुझे भी रास आये।
कभी तो ये लम्हें, किस्मत से मेरी बांध पाए,
तस्वीरों में हीं नहीं, उजालों में भी तू नज़र आये।
जो मुमकिन नहीं वो मंजर, मुझे तू आकर दिखाए,
साया तेरा कभी तो, मेरे साये में आ समाये।
भ्रम की ऐसी शाम, कभी तो क्षितिज़ पर छाये,
कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।