कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है
कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है
हमारे गाँव में काफ़ी बड़ा बाज़ार लगता है
ये सब तो ग़ैर-मुमकिन था कि वो ख़ंजर चलाएगा
मुझे तो ये बताया था कि वो ग़म-ख़्वार लगता है
अगर तुम देख लो बहते हुए अश्कों को आँखों से
समझ लेना वही है शख़्स जो हक़दार लगता है
जहाँ हमने किसी की राह से पत्थर उठा फेंके
हमारी राह में वो शख़्स ही दीवार लगता है
खुले दुश्मन अगर हों तो कहीं आसान भी होगा
मुनाफ़िक़ दोस्त हों जीना बड़ा दुश्वार लगता है
~अंसार एटवी