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9 Feb 2024 · 1 min read

कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है

कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है
हमारे गाँव में काफ़ी बड़ा बाज़ार लगता है

ये सब तो ग़ैर-मुमकिन था कि वो ख़ंजर चलाएगा
मुझे तो ये बताया था कि वो ग़म-ख़्वार लगता है

अगर तुम देख लो बहते हुए अश्कों को आँखों से
समझ लेना वही है शख़्स जो हक़दार लगता है

जहाँ हमने किसी की राह से पत्थर उठा फेंके
हमारी राह में वो शख़्स ही दीवार लगता है

खुले दुश्मन अगर हों तो कहीं आसान भी होगा
मुनाफ़िक़ दोस्त हों जीना बड़ा दुश्वार लगता है
~अंसार एटवी

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