कभी जो पी नहीं होती
वफ़ा की ज़ुस्तज़ू हमने जो उनसे की नहीं होती,
जो थी उम्मीद छोटी सी, वो यूँ ही जी नहीं होती ।
हमें मालूम था दौलत में सब कुछ आज बिकता है,
भरम ये टूटता शायद कभी जो पी नहीं होती ।
वफ़ा की ज़ुस्तज़ू हमने जो उनसे की नहीं होती,
जो थी उम्मीद छोटी सी, वो यूँ ही जी नहीं होती ।
हमें मालूम था दौलत में सब कुछ आज बिकता है,
भरम ये टूटता शायद कभी जो पी नहीं होती ।