*कभी जिंदगी अच्छी लगती, कभी मरण वरदान है (गीत)*
कभी जिंदगी अच्छी लगती, कभी मरण वरदान है (गीत)
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कभी जिंदगी अच्छी लगती, कभी मरण वरदान है
सुख जब तक भोगे काया ने, तब तक ही हर्षाती
स्वाद ले रही जिह्वा को, हर भोग-वस्तु है भाती
बूढ़ी-रोगी हुई देह को, ढोना क्या आसान है
जब तक चलते हाथ-पैर, दुनिया-भर पूरी घूमी
नगर-नगर वन पर्वत माटी, हर प्रदेश की चूमी
शिथिल पड़ा अब जब शरीर तो, शुभ लगता प्रस्थान है
जीवन में उत्साह बताता, तन में कितना दम है
बुझा हुआ मन करे मुनादी, अब चलने का क्रम है
बिस्तर पर अधमरे पड़े से, हितकारी शमशान है
कभी जिंदगी अच्छी लगती, कभी मरण वरदान है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451