कभी चुपके से दर हमारे भी आ जाना
कभी चुपके से दर हमारे भी आ जाना
कोई देख ले तो कोई बहाना बना जाना
याद आना फुर्सत के लम्हो में हमकों
कभी हमें भी यादों में अपनी बसा जाना
तन्हा होगी रातें हमारे बिन तुम्हारी
जुगनू बन रातों को पास हमारे आ जाना
लिपटा होगा सिराना रातों की तन्हाइयों में
तस्सवुर को सीने से लगा तन्हाई मिटा जाना
याद आएगा चुंबन सर्द रातों में
चाय की प्याली को लबों पर सटा जाना
हर एक चुस्की याद दिलाएगी
एहसासों को अपने भीतर समा जाना
याद आना और अपनी याद दिला जाना
कभी आना दर तो कभी अपना बना जाना
खाली मटके में आब बनकर समा जाना
तिश्रगी आब की जरा बुझा जाना
तड़पाया है तुम्हारी यादों ने हमेशा ही
हिचकी बन कर ही यादों में आ जाना
भूपेंद्र रावत
1।11।2017