कभी-कभी यह तोहमतें भी नाम करती है।
कभी-कभी यह तोहमतें भी नाम करती है।
वो और बात है कि ज्यादातर बदनाम करती है।।1।।
कैसे रहते हो मोहब्बत में इतने चुपचुप से।
इस इश्क़ में तो बातें करने को तमाम रहती है।।2।।
जब आया था वह शहर में तो अंजाना था।
आज कितनी हस्तियाँ उसको सलाम करती है।।3।।
जानें क्या मोजिज़ा है उसकी आवाज़ में।
उसकी बातें ही अब सब को क़लाम लगती है।।4।।
हर कोई फ़िदा है उसकी इस सादगी पर।
आदतें उसकी तो मज़हब-ए-इस्लाम लगती है।।5।।
बोलता है कडुआ पर दिलका है अच्छा।
हस्ती उसकी तो सबमें आला मकाम रखती है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ